डायनासोर का अंत
डायनासोर का अंत और इंसानों की उत्पत्ति एक ऐसा विषय है जो हमें पृथ्वी के विकास की गहराई से समझने में मदद करता है। आज से 6 करोड़ साल पहले एक बड़ा एस्टेरॉइड पृथ्वी से टकराया धूल के बदलने सूरज को ढक लिया तापमान गिर गया पृथ्वी पर रहने वाला 25 किलो से ज्यादा वजन का हर जीव खत्म हो गया, डायनासोर का कल खत्म हो गया डायनासोर का अंत एक नई प्रजाति के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया!
मेमल्स की उत्पत्ति
डायनासोर का अंत और इंसानों की उत्पत्ति का रहस्य विज्ञान और इतिहास दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मेमल्स ने खुद को इस महाविनाश से बचा लिया था, अत्यंत गर्मी से बचने के लिए यह जमीन के अंदर रहने लगे थे और जिंदा रहने के लिए इन्होंने सब कुछ खाना शुरू कर दिया, इतने बड़े महाप्रलय के गुजरने के बाद धरती फिर से सामान्य हो गई थी सतह पर फिर से नए पेड़ पौधे उगाने लगे थे और धरती पर जो पांच प्रतिशत जीव बच गए थे उनमें एडाप्टिव रेडिएशन की प्रक्रिया से बहुत सारी नई प्रजातियां जन्म लेने लगी!
नयी प्रजातियों का जन्म
नयी प्रजातियां आई उनकी आंखें सर में आगे की तरफ थी इसी काल में प्राइवेट के कर के अंदर एक महत्वपूर्ण इवोल्यूशन हुआ, इनकी स्पाइनल कॉर्ड को मस्तिष्क से जोड़ने वाला क्षेत्र जिसे फॉर्मेट मैग्नम कहते हैं, बस कल के पिछले हिस्से के बीच से केंद्र की तरफ शिफ्ट होने लगा, यानी कि अब जो प्रजाति आई वह सीधे खड़े होकर चलने में सक्षम थी!
4.7 करोड़ साल पहले
आज से 4.7 करोड़ साल पहले धरती के वातावरण में लगातार बदलाव शुरू होने लगे, धरती के टैकटोनिक प्लेट्स में हलचल हुई, जो धरती के दो बड़े महाद्वीपों को एक दूसरे के पास ले गई, यह वही भू भाग है क्या आज हम भारतीय रहते हैं, यह है इंडिया जो एशिया महाद्वीप की ओर तेजी से बढ़ रहा था, इन दोनों महाद्वीप के आपस में टकराने की वजह से हिमालय जैसी पर्वत मलाई खड़ी होने लगी, यह वही पर्वतमाला है जिसे आज हम जानते हैं दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के नाम से यह पर्वत मलाई इतनी ऊंची थी कि इससे मौसम का पैटर्न बदलने लगा, जिससे पृथ्वी ठंडी होने लगी!
नदियों का निर्माण
इस पर्वत श्रृंखला से गिरने वाला बर्फ आगे चलकर कई नदियों का निर्माण करने लगा यह वही नदियां है जिससे आज हमारी आदि से ज्यादा आबादी को पीने का पानी होता है, 3 करोड़ साल पहले ग्लोबल कूलिंग हुई घास के मैदान पढ़ने लगे और जंगल घटने लगे, तब ऐसे जानवर विकसित हुई जो खुले मैदान में रहने के लिए उपयुक्त थे और इन्हीं में दूसरे जानवर को खाने वाले जानवर भी विकसित होने लगे!
एक करोड़ साल पहले
एक करोड़ साल पहले पृथ्वी वह रूप लेने लगी थी, जिसे आज हम देख रहे हैं, धरती का वातावरण लगभग पूरी तरह से आज के सामान बन चुका था और धरती के सारे महाद्वीप लगभग पूरी तरह से जाने पहचाने थे,लेकिन परिस्थितियों फिर बदलने लगी!
40 लाख साल पहले धरती की टेक्टॉनिक प्लेट में एक बार फिर से हलचल हुई और अफ्रीका के पूर्वी इलाकों में एक नई पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ, यह पर्वत श्रृंखला थी ईस्ट अफ्रीकन ड्रिफ्ट वाले इस पर्वत श्रृंखला के उभार जाने से यहां के हरे-भरे जंगलों में आने वाली मौसमी हवा का मानसून पूरी तरह रुक गया और इस वजह से यहां के जंगलों में बारिश आनी बंद हो गई यहीं इसी जंगल में रहते थे!
ग्रेट एब्स की उत्पत्ति
ग्रेट एब्स यह है हमारी काफी दूर के रिश्तेदार हमारी यह पूर्वज कहाते हैं, हमारे परिवार की शुरुआत इसी गेट अप से हुई पेरोला पेड़ों पर रहते थे और फल खाते थे, वजनी होने के कारण यह एक डाल से दूसरी डाल नहीं जा सकते थे, इसलिए यह हमेशा झूलते रहते थे कभी-कभी यह अपने दो पैरों पर भी खड़े हो जाते थे यह चल सकते थे, आम धारणा की उलट सीधे चलने की क्षमता जमीन पर नहीं बल्कि टहनियों पर विकसित हुई बाय फेडरेलिज्म यानी दो पैरों पर चलना इंसानों की नहीं बल्कि एप्स की खोज थी, आगे चलकर यह ग्रेट एप्स जलवायु और जगह के अनुसार बदल गए!
इंसानों का विकास
कुछ चिंपांजी और गोरिल्ला में विकसित हुए कुछ इंसानों में विकसित होने शुरू हुए पूरे अफ्रीका में फैले हुए थे, बारिश के बंद हो जाने से यहां के जंगल सूख गए, जिसका सबसे ज्यादा असर इन ऐब्स पर पड़ा जंगल सूख जाने से एप्स के लिए खाने की समस्या उत्पन्न हो गई और इसीलिए अब यह पेड़ों से उतरकर खान की तलाश में जमीन पर अपने कदम रखने लगे!
मानव इतिहास का पहला कदम
हमारे पूर्वज जिन्होंने जमीन पर मानव इतिहास का पहला कदम रखा और आज इन्हीं के कारण हमने चांद पर अपना पहला कदम रखा, इनका दिमाग एक सेंटर जितना बड़ा था और उनकी लंबाई 4 फीट तक थी, यह हमारे वंश के सबसे पहले सीधे चलने वाली जीव थे कई हजार सालों के विकास क्रम के बाद यह दो पैरों पर चलने लगे, इससे ऊर्जा कम खर्च होती थी और यह चलते-चलते भी खा सकते थे, दो पैरों पर चलने से आगे सीधे खड़े होकर दूर-दूर तक नजर रख सकते थे, समय के साथ-साथ विकास की प्रक्रिया चलती रही और हमारे पूर्वज धीरे-धीरे विकसित होने लगे!
23 लाख साल पहले
23 लाख साल पहले हमारे पूर्वजों का दिमाग काफी बड़ा हो गया था, यह थे होमो हेबेलियस इन्होंने पहली बार पत्थर को हथियार की तरह इस्तेमाल करना शुरू किया, जैसे ही इस मामूली से पत्थर पर धारदार किनारा बना हमारे पूर्वजों के पास एक हथोड़ा आ गया, हमें काटने का हथियार मिल गया जिससे वह हजारों ऐसे काम कर सकता था जो वह पहले नहीं कर पता था, पत्थर के इस्तेमाल में अंगूठे और उंगलियों को मजबूती दी जिससे हम और अधिककुशल तरीके से इनका इस्तेमाल करने में सक्षम हो गए समय बीतने के साथ ही हमारे पूर्वज अब समूह में अन्य जानवरों का शिकार करने लगे थे,
होमो इरेक्टस की उत्पत्ति
होमो इरेक्टस जो अन्य जानवरों से ज्यादा होशियार थे, इन्होंने ही सबसे पहले आग का इस्तेमाल करना सीखा, आपकी खोज हमारे पूर्वजों के लिए सबसे बड़ी खोज थी, यह उन्हें गर्मी रोशनी अंधेरों और जंगली जानवरों से सुरक्षा देती थी और इसी वजह से अब परिवार भी बनने लगे, इन्होंने आज पर मांस को पकाना सीख लिया था आग पर खाना पकाने का मतलब था कि मांस को चबाने और बढ़ाने में ऊर्जा का कम खर्च होना और इसी वजह से यह ऊर्जा अब इनके दिमाग में खर्च होने लगी और इन्हें कैलोरी और ज्यादा ताकत मिलने लगी जिससे हमारे पूर्वजों का दिमाग काफी बड़ा हो गया!
2 लाख साल पहले
2 लाख साल पहले आज के इंसान ने अपना रूप ले लिया था, लेरिंग्स यानी आवाज की जो नली हमारे पूर्वजों में गले के ऊपर थी वह नीचे आ गई थी, अब हम ज्यादा जटिल आवाज निकाल सकते थे हमने बोलना शुरू कर दिया था, पहली बार कोई जानकारी एक से दूसरे इंसान तक या एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचने लगी थी, यही वह आखरी विकास कम था जिसके बाद विकसित होकर हम बने!
एक लाख साल पहले होमो सेपियंस की उत्पत्ति
हम यानी होमो सेपियंस एक लाख साल पहले इंसान कहीं भी जा सकता था, हमारे पास पूर्ति में हाथ और प्राचीन हथियार थे हम बात कर सकते थे आग को काबू में रख सकते थे, अब हम अपने अफ्रीकन घर को और बड़ा कर सकते थे, महाद्वीप यानी कॉन्टिनेंट किसके तो अफ्रीका और यूरेशिया जुड़ गए और उसे बनी एक बहुत बड़ी जमीन जिसका नाम था एफ्रो यूरेशिया इंसानों के दूर-दूर जाने से बहुत बड़ा बदलाव आया, अब हम एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में रहने लगे, इसकी वजह से हम उन चीजों से बचे हुए थे जिसकी वजह से जानवरों के मुकाबले दूसरे बड़े सुंदर हमेशा के लिए खत्म हो गए!
50000 साल पहले
करीब 50000 साल पहले आइसेज शुरू हो गया और नॉर्थ पोल से आगे बढ़ने लगा, इस वक्त इंसान चीन और ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच गया था!
30000 साल पहले
30000 साल पहले इंसान पहली बार यूरोप पहुंच गए, जब बर्फ अपने चरम पर थी तब इंसान अपनी खोज में नॉर्थ ईस्ट साइबेरिया के बर्फीली टांडा तक पहुंच गया, आइसेज के इतने कठिन दौर में भी इंसान हर उस हुनर का विकास कर रहा था जिससे की वो सच्चे मायनो में इंसान बन सके, हमने खुद को उसे माहौल में डाल दिया हम ज्यादा समझदार हो गए!
उसके बाद हमने पूरी दुनिया में अपनी बस्तियां समुद्र किनारे से पहाड़ की चोटियों तक हरे-भरे मैदाने से लेकर पथरीले इलाकों तक हर जगह इंसान थे हमारा होलिया बच्चा बोल और आंखों का आकार जलवायु और जगह के अनुसार बदल गया,
हमने अपने आवश्यकता के हिसाब से खेती शुरू की और जानवरों को पालन शुरू कर दिया हमने काशन और शहरों का निर्माण शुरू किया उसके बाद हमारी सभ्यता और संस्कृति का जन्म हुआ हमने विज्ञान और गणित का इस्तेमाल शुरू किया,
जिससे हमें भविष्य में जाने के लिए ऊर्जा और तकनीक मिली, ये है हमारा समय अब हम पूरी तरह विकसित है हमारे जैसा इस धरती पर अब कोई चीज नहीं आज हम जानते हैं कि हम कौन हैं कहां से आए हैं लेकिन यह तो बस शुरुआत है, अभी हमारा सफर खत्म नहीं हुआ है,
तो कुछ इस तरह से हुआ थी डायनासोर का अंत और इंसानों की उत्पत्ति, हमें अभी और आगे जाना है आने वाली चुनौतियों का सामना करना है और आधुनिक बनाना है!
यूट्यूब विडिओ – https://www.youtube.com/watch?v=jaM1cmutB68https://www.youtube.com/watch?v=jaM1cmutB68